भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा पर्याप्त मात्रा में, अमेरिका-जर्मनी सहित 13 देश सूची में शामिल

भारत ने कुछ दिनों पहले इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अमेरिका और ब्राजील जैसे अन्य देशों के अनुरोध पर इस प्रतिबंध को हटा लिया गया। भारत दुनिया का सबसे बड़ा (70 फीसदी) हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन उत्पादक देश है। इस क्षेत्र में भारत की तीन फार्मास्युटिकल कंपनियों (आईपीसीए, कैडिला, वालैक) की बादशाहत है। भारत महीने में करीब 40-45 टन हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बना सकता है।



कोरोना वायरस से लड़ने में मददगार हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेजने के लिए भारत ने अपनी पहली सूची में 13 देशों को शामिल किया है। इन देशों में अमेरिका, स्पेन, जर्मनी, बहरीन, ब्राजील, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, मालदीव, बांग्लादेश, सेशेल्स, मॉरीशस और डोमिनिकन रिपब्लिक शामिल हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कुल एक करोड़ 40 लाख टेबलेट और 13.5 मीट्रिक टन एपीआई (टेबलेट बनाने के लिए कच्चा माल) इन देशों को भेजी गई हैं। इससे पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा था कि देश में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की कोई कमी नहीं है।


सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने भारत से इस दवा की 48 लाख टेबलेट मांगी थीं जबकि, भारत ने 35.82 लाख टेबलेट भेजने को मंजूरी दी है। साथ ही भारत ने अमेरिका के अनुरोध पर नौ मीट्रिक टन एपीआई भी भेजा है।  वहीं, जर्मनी को पहली खेप में 1.5 मीट्रिक टन एपीआई भेजा गया है। जर्मनी को 50 लाख टेबलेट भी भेजी जाएंगी। बांग्लादेश को 20 लाख, नेपाल को 10 लाख, भूटान को दो लाख, अफगानिस्तान को पांच लाख और मालदीव को दो लाख टेबलेट भेज दी गई हैं। वहीं, पहली सूची में शामिल नहीं रहे श्रीलंका को भी भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की 10 लाख टेबलेट भेजेगा। 


'देश को एक करोड़ टेबलेट की जरूरत, हमारे पास 3.28 करोड़'



देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि देश में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की कोई कमी नहीं है। उन्होंने बताया कि फिलहाल देश को एक करोड़ टेबलेट की जरूरत है और हमारे पास 3.28 करोड़ टेबलेट मौजूद हैं। देश में इस दवा का पर्याप्त भंडार है।

यह दवा मुख्य रूप से मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होती है। आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान) की एडवाइजरी के मुताबिक, ये दवा उन चिकित्साकर्मियों को दी जा सकती है जो संदिग्ध या संक्रमित कोरोना मरीजों की सेवा में लगे हैं। इसके अलावा प्रयोगशालाओं में संक्रमित मरीजों के घरवालों को भी यह दवा देने की सलाह दी गई है।





दुनिया का सबसे बड़ा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन उत्पादक है भारत



भारत ने कुछ दिनों पहले इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अमेरिका और ब्राजील जैसे अन्य देशों के अनुरोध पर इस प्रतिबंध को हटा लिया गया। भारत दुनिया का सबसे बड़ा (70 फीसदी) हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन उत्पादक देश है। इस क्षेत्र में भारत की तीन फार्मास्युटिकल कंपनियों (आईपीसीए, कैडिला, वालैक) की बादशाहत है। भारत महीने में करीब 40-45 टन हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन बना सकता है।


16002 टेस्ट में दो फीसदी पॉजिटिव


इस दौरान संयुक्त सचिव ने बताया कि कल कोरोना की 16002 जांच की गई और इनमें से दो फीसदी ही पॉजिटिव पाए गए हैं। एकत्र किए गए नमूनों के आधार पर, संक्रमण दर अधिक नहीं है। उन्होंने बताया कि सरकार ने रैपिड डायग्नोस्टिक्स किट को भी मंजूरी दे दी गई है। उन्होंने कहा कि देश में अभी तक कोई सामुदायिक प्रसारण नहीं है, इसलिए घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन फिर भी हमें जागरूक और सतर्क रहना होगा।





घरेलू आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए किया निर्यात


विदेश मंत्रालय की तरफ से एएस और समन्वयक दम्मू रवि ने बताया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर बहुत सारे अनुरोध पहले से आए हुए थे। कई देशों द्वारा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के लिए अनुरोध किया गया है, इसलिए घरेलू आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए मंत्रियों के एक समूह द्वारा निर्णय लिया गया कि बची हुई दवा ही निर्यात की जाए।